वह शक्ति हमें दो दयानिधे ! कर्तव्य मार्ग पर डट जायें !!
हम दीन-दुखी: विकलाँगों के ! सेवक बन के संताप हरे !!
जो हों भूले, भटके, विदुरे ! उनको तारे खुद तर जायें !!
छल, दम्भ, व्देष, पाखण्ड, झूठ ! अन्याय से निस - दिन दूर रहें !!
जीवन हो शुद्ध-सरल अपना ! शुचि प्रेम सुधा, रस बरसायें !!
निज आन, मान मर्यादा का ! प्रभु ध्यान रहे अभिमान रहे !
जिस देव भूमि में जन्म लिया ! बलिदान उसी पर हो जायें !
पर सेवा पर उपकार में हँम ! निज जीवन सफल बना जायें !
वह शक्ति हमे दो दयानिधे ! कर्तव्य मार्ग पर डट जायें !!
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